आपने अक्सर शेयर मार्केट (Share Market) या शेयर बाजार (Share Bazar) के बारें में सुना ही होगा. शेयर के चढ़ते-गिरते भाव समाचारों की सुर्खिया बन जाते हैं. क्या आप जानना चाहते हैं की शेयर बाजार या शेयर मार्केट क्या होता है? पिछले कुछ सालों में इस फिल्ड में बहुत तेज़ी देखा गया है. आज के समय में हर दसवां व्यक्ति शेयर बाजार में पैसा लगा रहा है कुछ अच्छा खासा कमाई कर रहे हैं तो कुछ लाखों रुपये गवाने के बाद सीख जाते हैं. आखिर शेयर बाज़ार कैसे काम करता है? शेयर बाज़ार पैसा कमाने का एक बेहतरीन रास्ता है लेकिन, इसके लिए पैसा और ज्ञान दोनों का होना जरूरी है.
शेयर मार्केट के बारे में ज्यादातर लोगों का सोचना है कि शेयर मार्केट एक प्रकार का जुआ है. लेकिन मेरे प्यारे दोस्तों ये जुआ नहीं बल्कि पैसा कमानें का लीगल और प्रोफेशनल तरीका है. यहां चीजे वैज्ञानिक तरीके से होती है और सरकारी एजेंसी सिक्यूरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड (सेबी) की निगरानी में कार्य करती हैं. क्योंकि यहां थोड़ा रिस्क है इसलिये ज्यादातर लोग इसे बुरा समझते हैं. लेकिन यदि कोई शेयर मार्केट के बारे में अच्छे से समझ गया तो यकीनन शेयर मार्केट से दूर नहीं जा सकता है. कुछ दिनों पहले की बात है मैंने एक स्टॉक में इन्वेस्ट किया और तीन दिन में 18 प्रतिशत का लाभ कमाया. यही लाभ के लिए बैंक में 2 साल तक इंतज़ार करना होता है.
Table of Contents
अमीर बनने के तीन तरीका
1. पैसा कमाना
2. पैसा बनाना
3. पैसा उगाना
पैसा कमाने के बारे में ज्यादातर लोग जानते ही हैं कोई भी काम करो आप पैसे कमाते ही हो. पैसे कमाने के लिये आपको व्यक्तिगत रूप से उपलब्ध होना अनिवार्य है. किसी काम में अपना श्रमदान देते हो और बदले में आपको भुगतान मिलता है. लेकिन पैसा बनाना एक अलग बात है, यहां पैसे से पैसा बनाया जाता है. जैसे आपने अपना कुछ रूपया लगाकर कोई बिजनेस शुरू किया और आपको उस बिजनेस में मुनाफा हुआ तो ये पैसा बनाना हुआ. लेकिन यहां पर भी आपको प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उपलब्ध होना ही पड़ेगा. लेकिन इस पैसा कमाने से ज्यादा पैसा है.
अब बात करते हैं सबसे खास तीसरे तरीके पर, वो है पैसे उगाना. जी हां, अगर में कहूं कि आप पैसों की खेती कर सकते हो तो आपको ये थोड़ा अजीब जरूर लगेगा. लेकिन यह संभव है और यह शेयर मार्केट से संभव है. जिस तरह से आपको खेती में कुछ बीज डाल कर फसल करनी होती है और वो फसल बीज की कीमत से कई ज्यादा मुनाफा आपको देती है और यदि फसल खराब हो गया पानी लग गया डूब गया तो बीज का भी कीमत नहीं निकल पता है. शेयर मार्केट भी ऐसा ही है. यहां आप पैसा रूपी बीज बोते हैं और बदले में कई गुना पैसों की फसल काटते हैं.
यहां आपको प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उपलब्ध होने की जरूरत नहीं है. बस आपको सही फैसला लेना हैं कि बीज कौन से खेत में बोया जाऐ. चलिये बाते बहुत हुईं अब सीधे-सीधे मुद्दे पर आते हैं.
बाजार शब्द का मतलब तो लगभग सभी लोग जानते ही हैं. बाजार का मतलब ऐसी जगह से होता है जहां चीजों की खरीद-फरोख्त होती है. शेयर बाजार शब्द का आसान मतलब है ऐसा बाजार जहां पर शेयर की खरीद-फरोख्त होती है. इसे स्टाॅक मार्केट (Stock Market) भी कहते हैं.
किसी भी बाजार की तरह ही शेयर बाजार में शेयर खरीदने वाले और बेचने वाले एक-दूसरे से मिलते हैं और मोल-भाव करते हैं एवं सौदे पक्के करते हैं. शुरूआत में शेयर्स की खरीद-बिक्री मौखिक बोलियों के माध्यम से होती थी. लेकिन अब डिजीटल दौर में ये सब डिजीटल हो गया है और पहले से ज्यादा सुरक्षित भी है. अब सारा लेन-देन स्टाॅक एक्सचेंज (Stock Exchange) के जरिये होता है और खरीदने व बेचने बाले एक-दूसरे को जान भी नही पाते हैं.
What is CIBIL SCORE in Hindi सिबिल स्कोर क्या है?
शेयर क्या होता है?
शेयर मार्केट या शेयर बाजार के बारे में और अच्छे से समझने के लिये शेयर को समझना जरूरी है. शेयर एक अंग्रेजी शब्द है जिसका हिन्दी मतलब होता हिस्सा है. अगर आप किसी कंपनी का शेयर खरीद रहे हैं तो इसका अर्थ है कि आप उस कंपनी में हिस्सा खरीद रहे हैं. आप जितने शेयर खरीदेंगे कंपनी में आपका उतना हिस्सा होगा.
इसे उदाहरण के तौर पर समझते हैं मान लीजिये आपके किसी दोस्त ने कोई व्यापार शुरू किया उस पर पैसे कम पड़ रहे थे तो आपने उस व्यापार में पैसा लगा दिया, तो अब आप उस व्यापार के हिस्सेदार हो और उस व्यापार में होने वाले मुनाफा में भी आपको हिस्सा मिलेगा और अगर नुकसान हुआ तो आप का पैसा भी डूबेगा.
चूंकि शेयर खरीदने के बाद आप कंपनी के हिस्सेदार हो गये हैं इसलिये कंपनी के प्राफिट और लाॅस में भी हिस्सेदार हो. कंपनी का प्रोफिट होगा तो आपको भी प्रोफिट होगा और कंपनी का अगर लाॅस हुआ तो आपको भी लाॅस होगा. इसलिये शेयर बाजार को जोखिम का बाजार भी कहा जाता है.
जब कंपनी को अपना बिजनेस बड़ा करना होता है तो उसे अधिक धन की आवश्यकता होती है. इसलिये कंपनी अपना बिजनेस फैलाने तथा चलाने के लिये काॅरपोरेट स्ट्रक्चर के जरिये बड़ी संख्या में लोगों को अपने साथ शामिल कर लेती है और उन्हे शेयर बेचती है. इस तरीके से कंपनी आवश्यकता अनुसार धन जुटा लेती है.
ये तरीका बैंक से लोन लेने से ज्यादा अच्छा माना जाता है. क्योंकि बैंक लोन के बदले ब्याज मांगती है फिर चाहे कंपनी नुकसान में चले या घाटे में, वहीं उसे अपना प्रीमियम भी समय पर चाहिये. लेकिन शेयर बेचने के बाद कंपनी के पास उसके शेयरधारक होते हैं. जिनको सिर्फ प्रोफिट में हिस्सा देना होता है, नुकसान में नहीं. वहीं अगर आप कंपनी में अपनी हिस्सेदारी (शेयर) बेचना चाहें तो वे इसे बेच सकते हैं और कोई दूसरा व्यक्ति उस शेयर को खरीद कर नया हिस्सेदार बन जाता है.
जब तक शेयर होल्डर शेयर को होल्ड करके रखता है तब तक कंपनी को उसे डिविडेंट देना होता है वहीं अगर कोई कंपनी नुकसान में जाती है और अपना बिजनेस समेटती है तो शेयरधारको का भुगतान सबसे बाद में करती है.
Banking Terminology in Hindi बैंकिंग में इस्तेमाल होने वाला कुछ महत्वपूर्ण शब्द
शेयर होल्डर क्या होता है?
जब कोई व्यक्ति किसी कंपनी के शेयर खरीदता है तो वह इस कंपनी का शेयर होल्डर कहा जाता है. इसे दूसरे शब्दों में इक्विटी होल्डर या इक्विटी शेयर होल्डर भी कहते हैं. अगर आप को कहीं शेयर की जगह इक्विटी या स्क्रिप्स शब्द सुनने को मिले तो परेशान होने की जरूरत नही हैं ये तीनो का अर्थ एक ही है.
शेयर कितने प्रकार के होते हैं?
आम भषा में इक्विटी शेयर को ‘शेयर‘ ही कहा जाता है. भारत में निवेशकों के पास दो प्रकार के शेयर के विकल्प उपलब्ध हैं – इक्विटी शेयर तथा प्रीफरेंस शेयर. इन दोनों शेयर के बारें में किसी और लेख में विस्तार से बात करेंगें. फिलहाल नीचे थोड़ी जानकारी दी गई है.
इक्विटी शेयर या साधारण शेयर
प्राइमरी तथा सेकंडरी मार्केट में निवेशक जो जिस शेयर को खरीद सकता है वो साधारण शेयर कहलाता है. साधारण शेयर धारक ही इक्विटी शेयर होल्डर होते हैं. शेयरों की संख्या के अनुपात में कंपनी पर इनका मालिकाना हक होता है. मतलब जिस पर जितनी शेयर (हिस्सेदारी) उनका कंपनी में में उतना ही मालिकाना हक. कंपनी की जनरल मीटिंग में इन्हे वोट देने का अधिकार होता है. ये कंपनी के प्राॅफिट-लाॅस से सीधे तरह से जुड़े होते हैं. यदि कंपनी अपना बिजनेस पूरी तरह से बंद करती है तो सारी देनदारी चुकाने के बाद में बची हुई राशि या संपत्ति को कंपनी शेयरधारकों के बीच में शेयर की संख्या के अनुपात में बाॅंट देती है.
प्रिफरेंस शेयर (तरजीह शेयर)
ये शेयर साधारण शेयर से अलग होता है. इस प्रकार के शेयर को आम शेयर धारक नही खरीद सकता है. ये कंपनी प्रिफरेंस के आधार पर कुछ चुने हुये निवेशक या कंपनी के प्रमोटर या दोस्ताना आधार पर कुछ व्यक्तियों को दे सकती है. प्रिफरेंस शेयर की कीमत आम शेयर से अलग (कम या ज्यादा) हो सकती है. इन्हे नीति बनाने वाली बैठक में वोट देने का अधिकार नही होता है.
प्रिफरेंस शेयरधारक साधारण शेयर धारक की तुलना में ज्यादा सुरक्षित होते हैं क्योंकि जब कभी कंपनी बंद होने की नौबत आती है तो इनकी पूंजी लौटाने में शेयरधारकों से ज्यादा इन्हे तरजीह दी जाती है. प्रिफरेंस शेयरधारकों को लाभ में सबसे पहले हिस्सा मिलता है लेकिन इन्हे कंपनी का हिस्सेदार नही माना जाता है। लाभ के आधार पर प्रिफरेंस शेयर चार तरह के होते हैं
नाॅन क्यूमुलेटिव प्रिफरेंस शेयर (Non-Cumulative Preference Shares)
इस शेयर को हिन्दी में असंचयी अधिमानित शेयर कहते हैं. अगर किसी कंपनी को पहली साल मुनाफा नहीं होता है और दूसरी साल मुनाफा होता है तो इस में शेयर धारक दोनो साल का लाभ प्राप्त करने का दावा नही कर सकते हैं.
क्यूमुलेटिव प्रिफरेंस शेयर (Cumulative Preference Shares)
इस शेयर को हिन्दी में संचयी अधिमानित शेयर कहते हैं. यदि कंपनी को किसी वजह से पहली साल में मुनाफा नहीं हुआ और दूसरी साल मुनाफा हुआ तो इस प्रकार के शेयर धारक दोनो वर्ष का लाभ प्राप्त करने का दावा कर सकता है.
रिडीम्ड क्यूमुलेटिव प्रिफरेंस शेयर (Redeemed Cumulative Preference Shares)
इस शेयर का हिन्दी नाम विमोचनशील अधिमानित शेयर होता है. इस प्रकार के शेयर धारक को एक तय समय के बाद उसकी निवेश की गई राशि डिविडेंट के साथ वाप लौटा दी जाती है. ये शेयर अल्पकालिक होता है. कंपनी कभी भी शेयर धारक का निवेश लौटा सकती है.
कन्वर्टिबल प्रिफरेंस शेयर (Convertible Preferred Share)
इसे हिंदी में परिवर्तनशील अधिमानित शेयर कहते हैं. एक तय समय के बाद ये शेयर कंपनी के किसी अन्य इंट्रूमेंट में बदल दिये जाते हैं.
वक्रांगी का ग्राहक सेवा केन्द्र कैसे खोलें?
बोनस शेयर क्या होते हैं?
कंपनी अपने शेयर धारकों को कुछ बोनस शेयर भी देती है. ये बोनस शेयर बिल्कुल फ्री होते हैं. बोनस शेयर को समझने से पहले हम कैपिटलाइजेशन आफ रिर्जव को समझ लेते हैं. जब कोई कंपनी अपने बिजनेस के फाइनेंशियल ईयर में प्राफिट कमाती है तो कंपनी सभी खर्चे निकाल बची हुये पैसें को भविष्य में अपने विस्तार के लिये रख लेती है. यह रकम हर साल इकट्ठी होती रहती है और रिर्जव के रूप में कंपनी के पास रहती है.
इसके बाद कंपनी अपनी नीतियों व सरकारी कानूनों के अनुसार बोनस शेयर जारी करती है. ये शेयर अपने शेयर धारकों को उनके पास मौजूद शेयर के अनुपात में जारी किये जाते हैं. बोनस शेयर पर कोई कीमत नही बसूली जाती है. हांलांकि बोनस शेयर जारी होने के बाद शेयर की कीमत में कुछ गिरावट आती है.
प्राइमरी मार्केट (Primary Market) क्या होता है? | Share Market
उम्मीद है आपको इस आर्टिकल में शेयर से जुड़ी बेसिक बाते समझ में आ गई होंगी. यदि शेयर मार्केट से जुड़ा कोई भी सबाल आपके मन में हैं तो कमेंट बाॅक्स के माध्यम से पूंछ सकते हो. फाइनेंस व इन्वेंस्टमेंट से संबधित जानकारी पाने के लिये जुड़े रहिये MudraXP से जुड़े रहिये. हम यहां Finance से संबंधित जानकारी के साथ आपको अवगत कराते रहते हैं.